रेगिस्तान





एक टोकरी भर सपने है, 
कुछ खास, कुछ यू ही है 
कुछ मेरे अपने है, 
कुछ दुनिया ने लादे है 
थोड़ी खुलकर उड़ने की आस है, 
थोड़ी दबी दबी सी नाराजी है 
कहीं खो जाने की तलब है, 
कहीं खो ना जाऊँ इसका डर है

लेकिन ईन सब मे वक़्त की भी कुछ पाबंदी है..

कहीं वक़्त ना निकल जाए, 
कहीं उम्र ना बीत जाए 
कहीं कोई नाराज ना हो जाए, 
कहीं मेरा ही दिल ना सहम जाए 
कहीं पैसे की चमक है, 
कहीं सुकून की जरूरत है 
'अगर मगर' के चक्कर बेहिसाब है, 
'काश' के रोने कम करने की कोशिश है 

और जिंदगी भी तो बितानी नहीं, जीने की ख्वाहिश है.. 

कानों मे शोर थोड़ा ज्यादा है, 
मन की आवाज थोड़ी धीमी है 
जिंदगी के तराजू मे दिमाग बेहतरीन है, 
लेकिन डर का पलड़ा थोड़ा भारी है 
बेशक मंजिल से खूबसूरत होगा सफर, 
लेकिन मंजिल थोड़ी धुंधली और रास्ता थोड़ा गुमशुदा है 
रात का अंधेरा सुकून दे रहा है, 
सुबह के उजाले से दिल डर रहा है
सब कुछ यही आसपास है, 
बस सब कुछ खफ़ा है, सब कुछ गुमशुदा है 

करना बहुत कुछ है, 
बस.. वक़्त की थोड़ी पाबंदी है और दिमाग की तानाशाही है..!!

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